हर शब्द पड़ जाता है छोटा,
जब माँ का करने लगो बखान।
एक अक्षर के छोटे से शब्द में
सिमटा हुआ है पूरा जहान।।
शिक्षा है माँ,संस्कार है माँ,
रीत है माँ,रिवाज़ है माँ,
जीवन रूपी वीणा का,
सबसे सुंदर साज़ है माँ।।
अनुभूति है माँ,अहसास है माँ
सच मे सबसे खास है माँ।।
आस है माँ, विश्वास है माँ
जीवन का सर्वोत्तम वरदान,
हर शब्द पड़ जाता है छोटा
जब माँ का करने लगो बखान।।
बिन कहे ही मन की लेती है जान,
माँ के हिवड़े का अदभुत विज्ञान,
है माँ ही गीता,रामायण और कुरान।।
आवाज़ से ही हरारत का पता चल जाता है
माँ को,
होता नही कोई रिश्ता माँ समान।।
एक अक्षर के छोटे से शब्द में सिमटा हुआ
है पूरा जहान।।
माँ के चरण कमल ही होते हैं
मंदिर, मस्जिद,तीर्थ, धाम।।
जीते जी जिसने करली सेवा माँ की
समझो उसको मिल गए राम।।
हर सुख दुख की सच्ची साथी माँ,
हमारे हर रंजोगम को अपना बनाती मां,
एक मीठा सा अहसास है माँ
आ जाये गर कोई परेशानी
हर सम्भव प्रयास है माँ।।
हमारे छोटे छोटे पंखों को
मां ही तो देती है उडान,
ज़िन्दगी का अनुभूतियों से परिचय
करवाने वाली माँ,
कुदरत का सर्वोच्च वरदान।।
हर शब्द पड़ जाता है छोटा
जब मां
का करने लगो बखान,
हर संज्ञा,सर्वनाम,विशेषण का बोध कराने वाली
तेरा जग में हर कोई कद्रदान,
तुझे किस मिट्टी से बना दिया दाता ने
सोच सोच वो भी हुआ होगा हैरान।।
स्नेह प्रेमचन्द
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