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हर द्रौपदी को नहीं मिलते कान्हा

हर द्रौपदी को नहीं मिलते कान्हा,दुशासन हर मोड़ पर मिल जाते हैं,
भरी सभा में होता है चीर हरण,असहाय सा खुद को हम पाते हैं।।
नित होती है कलंकित मानवता,आत्मा करती है चीत्कार।
होता है मलिन जब आँचल किसी का,ज़र्रा ज़र्रा करता है हाहाकार।।
जाने कितनी कोमल कलियों को,जिस्म के सौदागर बाजारों में लाते हैं,
हर द्रौपदी को नहीं मिलते कान्हा,दुशासन हर मोड़ पर मिल जाते हैं।।
भरी सभा मे हुई अपमानित द्रौपदी, पांडवों ने कैसे स्वीकार किया???
भीष्म,द्रोण, विदुर सब मौन रहे,साथ किसी भी सभासद ने न दिया।
क्यों नहीं अंनत गगन डोला,क्यों नही फटा धरा का हिया??
पुरुष प्रधान समाज है ये,अग्निपरीक्षा भी दे कर न बच पाई सिया।।
नहीं लेते हर युग में राम जन्म,रावण घर घर में मिल जाते हैं,
घर की लाज़ नहीं घर मे सुरक्षित,असहाय सा खुद को हम पाते हैं।
हर द्रौपदी को नहीं मिलते कान्हा,दुशासन हर मोड़ पर मिल जाते हैं।।
दुष्ट दुशाशन ने जब खींचा आँचल,द्रौपदी ने हृदय से कान्हा को याद किया।
तुम ही लाज़ बचाओ गिरधर,पाँच पाँच पतियों ने भी न मेरा साथ दिया।।
बड़ों के आगे हुआ अपमान कुल वधु का,
क्रोधाग्नि से जल रहा मेरा जिया।।
सुन पुकार फिर आए कान्हा,बढ़ाया चीर,द्रौपदी को निर्वस्त्र न होने दिया।
हारा दुशाशन,सभा हुई हैरान,कान्हा ने दुख द्रौपदी का हर लिया।।
उस दिन तो बच गई द्रौपदी, पर आज हर कोने में हैं द्रौपदी हज़ार।
किसी भी शहर के गली कूचे में,इंसा खड़ा लूटने को तैयार।।
आज नहीं कोई आता कान्हा,हर द्रौपदी को लुटता हुआ हम पाते हैं।
हर द्रौपदी को नहीं मिलते कान्हा, दुशासन हर मोड़ पर मिल जाते हैं।।
बंद कमरों के नरम बिछोनो पर लुटते हैं जाने कितने ही अरमान,
जब तक चाहा तब तक खेला,टूटा खिलौना,दिया नया फरमान।।
सिसकियां,बेबसी,घुटन,रुसवाई,
किसी द्रौपदी की नहीं होती सुनवाई,
गरीबी,बेबसी बिक जाती है,
मजबूरी की चलती है पुरवाई।।
होती हैं कोठों पर रंगीन रातें,हर वर्ग के लोग वहां आते हैं।
हर द्रौपदी को नहीं मिलते कान्हा,दुशासन हर मोड़ पर मिल जाते हैं।।
कभी दिल्ली,कभी उन्नाव,कभी हैदराबाद को 
भीतर से धधकते हुए पाते हैं।।
कब हटेगा तमस,कब होगा उजियारा, हम यही सोचते रह जाते हैं,
हर द्रौपदी को नहीं मिलते कान्हा, दुशासन हर मोड़ पर मिल जाते हैं।।
                    स्नेह प्रेमचन्द

Comments

  1. .amazing n thought provoking expression of ideas on such a serious topic n so apt in today’s scenario....awesome painting by the artist 👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻

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