नाचता,गाता,उत्सव बनाता आ गया लोहड़ी का त्यौहार,
साँझी खुशियाँ, साँझे अहसास,मस्ती इसका अनमोल उपहार।।
पकी फसलों का उत्सव ये बनाता,उमंगों से इसका गहरा नाता,
लोहड़ी जला कर पूजन करना,सबको तहे दिल से है भाता।।
नीरस जीवन मे रंग भरता, करता जीवन ये ख़ुशगवार,
सर्वे भवंतु सुखिनः की सोच ही है इस पर्व का मुख्य आधार।।
हम सबके हैं सब हमारे हैं,अहम से वयम का सुना रहा है सार,
चितचिंता हर लेता है ये,होते खुशियों के दीदार।।
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