बहुत ही अपनी,बहुत ही प्यारी होती हैं बहनें,
प्रेमस्याही से अपनत्व ग्रन्थ लिखती हैं बहनें,
दुश्मनी का दलदल सदा सुखाती हैं बहनें,
भाई बहन के सबसे लंबे रिश्ते को ताउम्र निभाती
हैं बहनें,
द्वेष का दावानल सदा प्रेमजल से बुझाती हैं बहनें,
कलह का कीचड़ हटा,सौहार्द का कमल खिलाती
हैं बहनें,
कटुता की कालिख मिटा,मधुरता का तिलक लगाती हैं बहनें,
नफरत के कांटे हटा,सदभाव सुमन खिलाती हैं बहनें,
ईर्ष्या,द्वेष की दुर्गंध हटा कर,सहिष्णुता की सुगंध
फैलाती हैं बहनें,
विकारों की आँधी को संयम से थामती हैं बहनें,
अपनत्व के घी से प्रेम की अखंड ज्योत जलाती
हैं बहनें,
प्रेम मंडप में अपनत्व का अनुष्ठान हैं बहनें,
स्नेह कावड़ में मीठे रिश्ते का मधुर जल हैं बहनें,
विनम्रता की अँखियों में करुणा का काजल हैं बहनें,
प्रेम बादल में सहजता की बारिश हैं बहनें,
सरलता और सहजता की मधुर झंकार हैं बहनें,
निष्ठा की कड़ाही में प्रेम का छौंक हैं बहनें,
मुसीबत की घड़ी में परछाई हैं बहनें,
प्रेम मटकी मे करुणा का माखन हैं बहनें,
विश्वास के साग में आस का धनिया हैं बहनें,
जीवन का मधुर से सुर, गीत और संगीत हैं बहनें,
पर्व है,उल्लास है,समाज है,रीत है,शिक्षा है
संस्कार हैं बहनें,
मात पिता के बाद दूसरा सबसे प्रिय नाता है बहनें,
नए रिश्तों के नए भंवर में,वो बहनें उलझ सी जाती हैं,
शायद ही कोई साँझ हो ऐसी,जब याद उन्हें न आती है।।
अपने जन्म से अपनी मौत तक वो दिल मे सदा
यही कारण है शायद मिल बहनों से रूह तृप्त हो जाती है।।
सच में ऐसी होती हैं बहने।।
स्नेह प्रेमचन्द
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