हक उसका भी है जन्मदिन पर बच्चे के मिले
संग संग माँ को भी बधाई,
अपनी जान पर खेल कर ही तो है वो बच्चे को जग में लाई।।
ए खुदा बस इतना बता दे,किस माटी से तूने माँ है बनाई,
आती है जब बेला जन्मदिन की,वो हौले से जेहन में आई।।
हर संज्ञा,सर्वनाम,विशेषण का बोध कराने वाली,
हर समस्या का समाधान है वो बताने वाली,
यूँ ही तो नही कहा जाता माँ को पूरे जग में निराली।।
घर के गीले चूल्हे में सतत जलती है ईंधन सी मां,
शिक्षा को संस्कार का सदा तिलक लगाती है माँ,
हर सम्भव प्रयास से धरा को स्वर्ग बनाती माँ,
चितचिंता हरने वाली,जीवन को सहज बनाती माँ,
जीवन के तपते मरुधर में शीतल ठंडी ठंडी छां,
उफनते दूध पर ठंडे छींटे सी प्यारी प्यारी माँ,
उत्सव,पर्व,उल्लास,रीति रिवाज है माँ।।
जब इतनी अहम है माँ जीवन में, तो क्यों न बजे
सदा उसकी ममता की शहनाई,
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