कह दिया हमने तूफानों से,करनी है जो तबाही कर लो,हमने तो खामोशियों से कर लिया है याराना।।
कह दिया हमने महफिलों की रौनकों से,हो जाओ गुलजार होना है जितना तुमको,हमने तो तन्हाइयों का गुनगुना लिया है फसाना।।
कह दिया हमने हर उस धुंधले मंज़र को,मत ठहरो बन आँख का पानी,ऐसी लाओ सुनामी कि हो जाए वीराना।।
कह दिया हमने खुशियों से,अब दो या न दो दस्तक ज़िन्दगी के दरवाजे पर,गम का हिया हो गया है दीवाना।।
कह दिया हमने धड़कते दिल से,धड़कन से बेशक करो दोस्ती या दुश्मनी,है बड़ा मतलबी खुदगर्ज सा ज़माना।।
कह दिया हमने उस परवरदिगार से, अपनी दया की कृपा सदा सिर पर रखना,हम तो कठपुतली सा अस्तित्व लिए जग में आए हैं।।
कह दिया हमने संगीत की हर सरगम से,कैसा भी कोई भी सुर हो,तुम अब गाओ कोई भी गाना,
हमे तो याद नही आता अब कोई भी तराना,,
माँ की लोरी ही है अनहद नाद इस जग में,
नही कर पा रहे सहन उसका अचानक यूँ चले जाना।।
सिसकती है सिसकी,सिहरती है कसक,नयनो को आता है भीग जाना,
मन धुआँ धुआँ, हर मंज़र धुंधला,गले मे किसी गोले का लगता है अटक जाना,
नही सम्भव हो इज़हार ए दास्तां हर अहसास की,जाने कितनी ही अनकही कहानियों को हे दफन हो जाना।।
कह दिया बस कह दिया हाल ए दिल माँ तेरे जाने के बाद,
है कौन सी ऐसी भोर और साँझ,जब तूँ न आई हो याद।।
स्नेह प्रेमचन्द
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