Skip to main content

गुजरे पल

बीत गया जो पल जीवन में,
बन जाता है वो इतिहास।
गए वक़्त का रोना न रोकर,
अपना आज बनाएं खास।।
जब जागोगे,तभी सवेरा,
आएगा उजाला,हटेगा अंधेरा।।
क्या संग लाए थे जीवन में,
न कुछ तेरा,न कुछ मेरा।।
ज्ञान के चक्षु खोल ले मानव,
सम्भव तभी है पूर्ण विकास।
बीत गया जो पल जीवन में,
बन जाता है वो इतिहास।।
भाग्यवादी न बन कर हम,
कर्मों की शरण में आ जाएं।
ईश्वर भी उन्हीं को देते हैं सहारा,
कर्महीन कभी न मुक्ति पाएं।।
करके अच्छे कर्म जीवन में,
फल की न रखें कभी आस।
बीत गया जो पल जीवन में,
बन जाता है वो इतिहास।।
पल पल हर पल जीना सीखें हम,
हर पल हो मीठा अहसास।
मीठी वाणी,मधुर भाव हों,
तो बंधन भी आते हैं रास।।
बीत गया जो पल जीवन में,
बन जाता है वो इतिहास।।
दूर गगन में टिम टिम तारे,
मानो ये बतियाते हैं।
स्वर्ग सी सुंदर मोहिनी धरा ये,
फिर इंसा क्यों पाप बढ़ाते हैं???
मार कुल्हाड़ी निज पग पर,
खुद को चोट पहुँचाते हैं।
अहिंसा छोड़ चुन हिंसा को
क्या सन्देसा दे जाते हैं।।
विषय विकारों में फंस कर,
जीवन बन जाता है फांस।
बीत गया जो पल जीवन में,
बन जाता है वो इतिहास।।
गए वक़्त का रोना न रो कर,
अपना आज बनाएं हम खास।।
छू कर छाया नही मिला कुछ,
जो पल खुल कर जी लें हम,
वही आएं हमे दिल से रास।।
अतीत की पाठशाला से सीख,
वर्तमान को इतना सुंदर बनाएं।
भविष्य खुद ही लगे महकने,
हटा तमस उजियारा लाएं।।
        स्नेहप्रेमचन्द

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

वही मित्र है((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

कह सकें हम जिनसे बातें दिल की, वही मित्र है। जो हमारे गुण और अवगुण दोनों से ही परिचित होते हैं, वही मित्र हैं। जहां औपचारिकता की कोई जरूरत नहीं होती,वहां मित्र हैं।। जाति, धर्म, रंगभेद, प्रांत, शहर,देश,आयु,हर सरहद से जो पार खड़े हैं वही मित्र हैं।। *कुछ कर दरगुजर कुछ कर दरकिनार* यही होता है सच्ची मित्रता का आधार।। मान है मित्रता,और है मनुहार। स्नेह है मित्रता,और है सच्चा दुलार। नाता नहीं बेशक ये खून का, पर है मित्रता अपनेपन का सार।। छोटी छोटी बातों का मित्र कभी बुरा नहीं मानते। क्योंकि कैसा है मित्र उनका, ये बखूबी हैं जानते।। मित्रता जरूरी नहीं एक जैसे व्यक्तित्व के लोगों में ही हो, कान्हा और सुदामा की मित्रता इसका सटीक उदाहरण है। राम और सुग्रीव की मित्रता भी विचारणीय है।। हर भाव जिससे हम साझा कर सकें और मन यह ना सोचें कि यह बताने से मित्र क्या सोचेगा?? वही मित्र है।। बाज़ औकात, मित्र हमारे भविष्य के बारे में भी हम से बेहतर जान लेते हैं। सबसे पहली मित्र,सबसे प्यारी मित्र मां होती है,किसी भी सच्चे और गहरे नाते की पहली शर्त मित्र होना है।। मित्र मजाक ज़रूर करते हैं,परंतु कटाक...

बुआ भतीजी

सकल पदार्थ हैं जग माहि, करमहीन नर पावत माहि।।,(thought by Sneh premchand)

सकल पदारथ हैं जग मांहि,कर्महीन नर पावत नाहि।। स--ब कुछ है इस जग में,कर्मों के चश्मे से कर लो दीदार। क--ल कभी नही आता जीवन में, आज अभी से कर्म करना करो स्वीकार। ल--गता सबको अच्छा इस जग में करना आराम है। प--र क्या मिलता है कर्महीनता से,अकर्मण्यता एक झूठा विश्राम है। दा--ता देना हमको ऐसी शक्ति, र--म जाए कर्म नस नस मे हमारी,हों हमको हिम्मत के दीदार। थ-कें न कभी,रुके न कभी,हो दाता के शुक्रगुजार। हैं--बुलंद हौंसले,फिर क्या डरना किसी भी आंधी से, ज--नम नही होता ज़िन्दगी में बार बार। ग--रिमा बनी रहती है कर्मठ लोगों की, मा--नासिक बल कर देता है उद्धार। हि--माल्य सी ताकत होती है कर्मठ लोगों में, क--भी हार के नहीं होते हैं दीदार। र--ब भी देता है साथ सदा उन लोगों का, म--रुधर में शीतल जल की आ जाती है फुहार। ही--न भावना नही रहती कर्मठ लोगों में, न--हीं असफलता के उन्हें होते दीदार। न--र,नारी लगते हैं सुंदर श्रम की चादर ओढ़े, र--हमत खुदा की सदैव उनको मिलती है उनको उपहार। पा--लेता है मंज़िल कर्म का राही, व--श में हो जाता है उसके संसार। त--प,तप सोना बनता है ज्यूँ कुंदन, ना--द कर्म के से गुंजित होता है मधुर व...