माँ केवल माँ ही नहीं होती,
माँ होती है हक और अधिकार।
करुणा,वात्सल्य,सामंजस्य की त्रिवेणी,
सपनों को सहजता से देती आकार।।
पर्व है माँ,उत्सव है माँ, उल्लास है माँ,
सच मे जीवन में सबसे खास है माँ,
सहजता का पर्याय है माँ,
जीवन में सबसे अच्छी राय है माँ,
ग्रीष्म में शीतल फुहार है माँ,
बसन्त में सुंदर बहार है माँ,
जाड़े में गुनगुनी धूप है माँ,
जग में सबसे सुंदर रूप है माँ,
प्रेम है माँ, पुंज प्रकाश है माँ,
बच्चे का अदभुत विकास है माँ,
अनुभूति है मां, अहसास है माँ,
चैन है माँ,सुकून है माँ,
लक्ष्य है माँ,जुनून है माँ,
मरहम है माँ,मिठास है माँ,
विश्वास है माँ,आस है माँ,
चेतना है माँ,स्पंदन है माँ,
चाहत है माँ,वंदन है माँ,
होली है माँ, दीवाली है माँ,
जग में सबसे निराली है माँ,
सुर,सरगम,संगीत है माँ,
शिक्षा,संस्कार,रीत है माँ,
समर्पण है माँ,त्याग है माँ,
प्रीत है माँ, अनुराग है माँ,
पतंग है जीवन तो डोर है माँ,
सबसे उजली भोर है माँ,
सामंजस्य,समझौता,सहनशीलता,
होते माँ के सच्चे श्रृंगार।
भांति भांति के मोतियों से बनाती,
मां अदभुत, प्यारा सा प्रेमहार।।
अपनी नज़रों के आईने से,
हमारा अक्स उसे बखूबी नज़र आता है।
भला हो चाहे बुरा हो,
हर प्रतिबिम्ब औलाद का माँ को भाता है।।
यही कारण होगा शायद,
माँ का स्थान ईश्वर के समकक्ष आता है।
सबसे प्यारा माँ बच्चे का ही तो नाता है।।
माँ के लिए तो बच्चे ही होते हैं उसका संसार।
पर बच्चों के संसार में वो कहीं खो सी जाती है,
हो जाती है उपेक्षा,तन्हाई, बेबसी का शिकार।।
माँ केवल माँ ही नही होती,
माँ होती है हक और अधिकार।।
Comments
Post a Comment