राम से पहले सीता है औऱ शाम से पहले राधा,
और नही कोई नारी है वो,सृष्टि का हिस्सा आधा।
आशा है,मर्यादा है,है नारी भक्ति श्रद्धा और विश्वास।
सौंदर्य,क्षमा,है वो विद्या वाणी,ईश्वर की रचना बड़ी खास।।
लज्जा उसका गहना है,उसे आता खामोश भी रहना है।
वो कोमल है कमज़ोर नही,अन्याय और शोषण उसे नही सहना है।।
बेटी,बहन,पत्नी,माता
हर रूप में उसका खास ही नाता।
सम्मानीय है वो,वन्दनीय है वो
सृष्टि की सच मे धुरी है वो,
अधिक की कभी नही करती अभिलाषा
थोड़े में भी खुश रहने की सदा होती उसे आशा।
वात्सल्य का कल कल बहता है वो झरना,
करुणा से सदा ही उसने हिया को भरना।
लघुता,हवस,शोषण,तिरस्कार।
न रखो ऐसे भाव में में नारी के लिए,
जो रखे,है उसको धिक धिक धिक्कार।।
जब पराई नारी में अपनी बहू, बहन,बेटी
माँ नज़र आ जायेगी।
सही मायनों में होगा वो महिला दिवस,
यही धरा स्वर्ग बन जाएगी।।
फिर कोई द्रौपदी किसी कान्हा को,
अपनी रक्षा हेतु नही बुलाएगी।
सम्मान सुरक्षा और स्नेह की बहेगी त्रिवेणी,
माँ भारती सोने की चिड़िया कहलाएगी.
राम से पहले सीता है,और शाम से पहले राधा।
और नही कोई नारी है वो,सृष्टि का हिस्सा आधा।।
उसकी खामोशी कमज़ोरी नही है,
सब को संग लेकर चलने का है नेक इरादा।।
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