सब स्वस्थ हों,सब निर्भय हों,
हो सबके जीवन मे उजली सी भोर।
कोई ख़ौफ़ न हो,कोई चिंता न हो,
मिले सबको जीवन में सुरक्षित सा ठौर।।
"जीयो और जीने दो" सब इस उक्ति को दे अंजाम।
सब प्रेम करें एक दूजे से सर्वत्र सर्वदा और अविराम।।
हे दीनबन्धु,हे दयालु भगवन, करो जगत का अब कल्याण।
पथ भर्मित सा है इंसा,आपदा आयीं है बड़ी घोर।
सब स्वस्थ हों,सब निर्भय हों,
हो सबके जीवन मे उजली सी भोर।।
स्नेहप्रेमचंद
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