शहीदे आज़म भगत सिंह,राजगुरु और सुखदेव को शत शत नमन और भावभीनी श्रद्धांजलि है हमारी।
क्यों नही फटा धरा का हिया,क्यों नही अनन्त गगन डोला उस दिन,ये जिज्ञासा है हमारी।।
क्यों मानवता हुई दानवता उस दिन,क्यों खोए हमने लाल हमारे,
युग आएंगे,युग जाएंगे,पर इनको भूल न पाएंगे सारे।।
फिज़ां में आज भी महक है इनके शौर्य की,फिरंगी जीत कर भी थे इनसे हारे,
एक कशिश,एक मलाल सा रहता है हिवड़े में,जब जब हमने ये भाव विचारे।
रंग चोला बसन्ती,हो गए हंसते हंसते,तीनो कुर्बान
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