कहीं कहीं ही मिलते हैं देखने को,बेपनाह मोहब्बत के जज़्बात,
हमेशा जिनकी हाज़ीर ए खिदमत में रहना चाहिए हमे,प्रभु से मिलती है उन्ही माँ बाप की सौगात।।
हमारे सुनहरे मुस्तकविल के लिए हैं वे जीवन की सबसे सुंदर प्रभात
वे हैं तो हम हैं,भूले न हम अपनी औकात।।
हमें अपनाते हैं वे जीवन के हर मोड़ पर,चाहे हों कैसे भी हमारे हालात।।
वे हमारे पास नही,हम रहते हैं पास उनके,
आ जाए समझ सबको ये बात।।
स्नेहप्रेमचंद
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