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करेक्शन thought by snehpremchand

करेक्शन करनी ही तो है सबसे पहले अपने
ज़मीर की ज़रूरी है,अपनी भावनाओं की ज़रूरी है,अपनी सोई सम्वेदना को जगाना ज़रूरी है,
ह्र्दयसिन्धु में करुणा नीरज खिलाना ज़रूरी है,
अहिंसा का तबला बजाना ज़रूरी है,सौहार्द का डमरू बजाना ज़रूरी है,स्नेह सरगम सीखनी ज़रूरी है।प्रेम का अनहद नाद बजाना ज़रूरी है,
दर्द उधारे लेना जरूरी है,करेक्शन करनी ही है तो अपनी सोच में करो,क्योंकि सोच से ही कर्म और कर्म से परिणाम सुनिश्चित होते हैं।।
              स्नेहप्रेमचंद

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सकल पदार्थ हैं जग माहि, करमहीन नर पावत माहि।।,(thought by Sneh premchand)

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