कोई भी रिश्ता अचानक नहीं मरता,
किसी भी रिश्ते को अटैक नहीं पड़ता,
न ही किसी रिश्ते का यकायक हार्ट फ़ेल होता है,न ही अचानक किसी रिश्ते का फ़्रैक्चर होता है,अचानक उसे बदहज़मी भी नही होती
न ही किसी रिश्ते का एक्सीडेंट होता है,
पहले उस रिश्ते में हल्की सी हरारत होती है मनभेद दी,फिर मनभेद का बुखार चढ़ता है,
फिर तूँ तड़ाक और झूठे अहंकार के फिट्स पड़ते हैं।फिर खामोशी की लंबी टीबी हो जाती है,फिर शनै शनै वो क्षीण हो जाता है,काफी समय तक सुलह की संभावना के वेंटीलेटर पर भी रहता है,और फिर एक दिन उसका अंतिम संस्कार इस लिए हो जाता है क्योंकि दोनों ही पक्षों की ओर से सुलह की कोई पहल नही होती,न ही कोई मध्यस्था करके सुलह करवाता है,यह सत्य है।।
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