दरार चाहे दीवार में हो या
हमारे वजूद में हो
दरकने का खौफ तो
दोनों को ही होगा।
दीवार गिरेगी तो मकान टूटेगा,
पर वजूद चोटिल हुआ तो घर टूटेगा।
इस सूरत ए हाल में दो राहें हैं
या तो मरम्मत या फिर बिखराव
अहसास ए जुर्म होगा तो मरम्मत
की जा सकती है,
पर वही पहले सी फ़ितरत रहेगी
तो बिखराव ही एकमात्र रास्ता है,
हमारा चयन ही हमारे भाग्य को निर्धारित करेगा
चयन कर्म का ही दूसरा नाम है।
मरम्मत मकान और घर
दोनों को बचा सकती है,
बिखराव तो बहुत ही गहरे
मारसिम का
कत्ल ए आम कर देगा।
सोच,कर्म,परिणाम की त्रिवेणी
सदा संग संग बहती आई है,
जैसी सोच,वैसे कर्म,वैसे ही परिणाम।।
स्नेहप्रेमचन्द
मारसिम---रिश्ता
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