सही समय पर सही चीजों का अहसास ज़रूरी है।
सही क्रिया की सही प्रतिक्रिया ज़रूरी है।
उंगली पकड़ कर चलाने वालों के बूढ़े कंपकंपाते हाथ थमाने ज़रूरी हैं।
प्राथमिकताएं सेट करनी ज़रूरी हैं,
गलत को गलत कहना औऱ मानना ज़रूरी है।
अपने विवेक से काम लेते हुए अपने दिमाग का रिमोट अपने हाथ मे रखना ज़रुरी है।
अब तुलसीदास बनना है या श्रवण कुमार,
इस विकल्प में से सही चयन ज़रूरी है।
और अधिक नही आता कहना,माँबाप का ध्यान रखना ज़रूरी है।
वास्तव में यही मदर्स औऱ फादर्स डे है।
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