प्रेम किया नहीं जाता, हो जाता है।
लिखना सीखा नहीं जाता,लेखन हो जाता है। कविता का भाव जबरन पैदा नहीं किया जाता, यह तो सहज रूप से निर्बाध गति से खुद ही हृदय सिंधु से बहती है।
अच्छे बनने का नाटक किया नहीं जाता, अच्छा या बुरा हमारे स्वभाव का हिस्सा बन जाता है।
प्रकृति को कहना नही पड़ता,यह कर के सब दिखा देती है ।
ईश्वर दिखता नहीं, पर अपने होने का अहसास करा ही देता है।।
कुछ लोगों को याद करना नहीं पड़ता,वे तो एकदम दिल के बीचोबीच ताउम्र बैठे रहते हैं।।
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