शब्द संभाले बोलिये,
शब्द आपके,आपका परिचय दे जाते हैं।
हम कब,किस से,क्यों,क्या बात कर रहे हैं,
पहले विचारो,फिर बोलो,
बोल कर मत सोचो,सोच कर बोलो।
द्रौपदी का एक वक्तव्य अंधे का पुत्र अंधा महाभारत का कारण बना।
कुंती ने बिन देखे बिन सोचे लायी गयी भिक्षा को आपस मे बाँट लेने को कह दिया,परिणाम सब जानते हैं।
भाषा को विवेक के तराजू से तौलते हुए ही मुखद्वार से बाहर निकालो, हमारा शब्द किसी को खुश न करे कोई बात नही,पर किसी की भावनाओं को आहत करे,बहुत बड़ी बात है।
Comments
Post a Comment