छोड़ो दामन चिंता का,
चित्त चिंता, हर लेती है मन का चैन।
लब बेशक न कहें अल्फ़ाज़ कोई,
सब कुछ कह जाते हैं नैन।।
थाम कर रखते हैं गर चिंता को
नहीं आती भोर,रहती है रैन।।
न रहे मलाल,न कोई पछतावा
बहते हैं तो बहने दो नैन।।
प्रतिशोध से क्षमा बड़ी है,
बेचैनी से बड़ा है चैन।।
चिंतन करो,चिंता नहीं,
आएगी भोर,बीतेगी रैन।।
एक बात आती है समझ में,
नही खोना हमें मन का चैन।।
शो मस्ट गो ऑन,यही जीवन है,
जीवन के हैं दो हिस्से,हो दिवस चाहे हो रैन।।
Comments
Post a Comment