को---रोना को हराना है,तूने नहीं, मैंने नहीं,
हम सबने ये ठाना है।
रो--कथाम है इसकी बहुत ज़रूरी,
ऐसी भी क्या मज़बूरी,
बाहर घर से बेवजह नहीं जाना है।
ना--सूर न बन जाए जख्म कोई,
मरहम सबके ही घावों पर लगाना है।
को--ई न निकले सड़कों पर,
घर की लक्ष्मण रेखा को
लाँघ बाहर नहीं जाना है।
ह--मदर्द बन रहे हैं डॉक्टर्स,खाखीधारी और सफाईकर्मी,
हौंसला इन सब का, सबको ही बढ़ाना है।
रा--त मावस की ढल जाएगी,
भोर पूनम की आएगी
बस सामाजिक दूरी रखनी बरकरार है
और सबको मास्क लगाना है।
ना--ता है सबका एक दूजे से मानवता का,
जाति, मज़हब,किसी भेद भाव को
नहीं बीच मे लाना है।
है--सियत इंसान की है कठपुतली सी,कर आत्ममंथन,खुद भी समझना है,औरों को भी समझाना है।।
प्रकृति तो है माँ हमारी,हमें नहीं करना इसका शोषण,न दोहन,न ही प्रदूषण फैलाना है।
संयम,साहस और त्याग की त्रिवेणी से इस वैश्विक
महामारी पर काबू पाना है।।
कोरोना को हराना है,तूने नहीं, मैंने नही,हमसबने ये ठाना है।।
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