माँ गीता,रामायण माँ ही बाइबल माँ ही कुरान।
माँ ही है कुदरत का सबसे अनमोल वरदान।।
एक अक्षर के छोटे से शब्द में,
सिमटा हुआ है पूरा जहान।।
मा कभी नही थकती,कभी नही रुकती
किया प्रभु ने किस माटी से माँ का निर्माण???
वो कुछ नही कहती,खामोश है रहती,
मा तुझ को शत शत प्रणाम।।।।
भावों का भोजन है माँ,
रूह का संशोधन है माँ,
सबसे मधुर सम्बोधन है माँ,
प्रेरणा भरा उदबोधन है माँ।।
अधिक तो आता नहीं कुछ कहना,
माँ कुदरत का है अनमोल वरदान।।
हो जीवन में कोई भी धुंध कुहासा अवसाद विषाद।
बाहर निकालने की करती हर सम्भव कोशिश,
एक माँ ही सुनती है सारी फरियाद।।
माँ है पास जिसके जगत में
होता वही सबसे धनवान।
माँ ही गीता,माँ ही रामायण,
माँ ही बाइबल,माँ ही कुरान।।
स्नेहप्रेमचन्द
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