तूँ इस तरह से मेरी ज़िंदगी मे शामिल है,
जैसे जेहन में विचार,समाज मे व्यवहार।
जैसे सागर में जल,वक़्त के लिए कल।।
जैसे दिल मे धड़कन,सुर में सरगम।
जैसे पतंग में डोर,पहर में भोर।।
जैसे अमलतास में रंग पीला।
जैसे गगन का हो रंग नीला।।
जैसे परिंदे के परों में परवाज़।
जौसे साबुन में झाग,चूल्हे में आग।।
जैसे सावन में घटाएँ,वृक्षों पर लताएँ।
जैसे घड़े में पानी,महलों में रानी।।
जैसे संगीत में साज़,कंठ में आवाज़।
जैसे पर्वों में हो पर्व दीवाली।।
जैसे प्रकृति में हो हरियाली।
जैसे नयनों में नूर,हीरों में कोहेनूर।।
जैसे गीता में कर्म,मानस में धर्म।
जैसे लेखन में कविता,जल में सरिता।।
जैसे कविता में भाव,जीवन में चाव।
जैसे दीये में ज्योति,माला में मोती।।
जैसे दान में कर्ण, मानस में चौपाई,
जैसे राम में मर्यादा,सिया के लिए रघुराई।
जैसे यज्ञ में आहुति,सृजन में कृति।।
जैसे भानु में तेज,इंदु में ज्योत्स्ना।
जैसे जुगनू में चमक,पायल में छमक।।
जैसे सावन में पानी,बच्चे को कहानी।
जैसे मिठाई में मिठास,ज़िन्दगी में विकास।।
जैसे कोयल में कुक,हिया में हूक।
जैसे चेतना में स्पंदन,पूजा में वंदन।।
जैसे माथे पर टीका,ज्ञान में गीता।
जैसे हवन में रोली,रंगों में होली।।
जैसे तन में श्वास,मन में विश्वास।
जैसे माँ में ममता का सागर।।
ऐसे हुई धन्य मैं तुझे पाकर।।।।
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