सिया से बड़ा था त्याग उर्मिला का,
मुश्किल है करना अहसास।
बजी जीवन मे तन्हाई की शहनाई
बरस चौदह,सौमित्रेय को नहीं,
राम को मिला था वनवास।।
मुख्य केंद्र बिंदु मानस में रही सिया,
उर्मिला विरह वेदना का नहीं हुआ आभास।
भ्रात, प्रेम की खातिर लक्ष्मण ने भार्या को दी
विरह वेदना,तन्हाई मन में,तन में दीर्घ श्वाश।।
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