मैं न भूलूंगी, मैं न भूलूँगी,
वो माँ का प्यार से गले लगाना।
चुपके से फिर हाथ पकड़ कर,
अपने कमरे में ले जाना।
कुछ प्यार के तोहफे निकाल कर,
हसरत भरी नजरों से दिखाना।
मैं न भूलूँगी मैं न भूलूंगी,
मनपसन्द की रसोई बनाना।
झट पट से उसका काम मे लग जाना,
बिना शिकायत बिन रंजिश के,
अपने चमन को माँ का महकाना।
मैं न भूलूंगी मैं न भूलूंगी।।
वो मां का जीवन को सहज बनाना,
वो विषम परिस्थितियों को भी अपने अनुकूल बनाना,
वो रुकना नहीं,वो थकना नहीं,हर हालत में चलते जाना,
वो अविरल ममता की धारा बहाना,
वो हर पर्व,उत्सव,उल्लास को दिल से मनाना,
वो ताउम्र जिजीविषा को पल्लवित करते जाना,
वो कर्तव्य कर्म मुस्कुराते हुए पूरे करते जाना।।
मैं कुछ भी न भूलूंगी।।
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