पता ही न चला,कब भोर से साँझ हुई,
पता ही न चला,कब बचपन पीछे छूट गया
पता ही न चला,कब मासूमियत को चालाकी निगल गयी,
पता ही न चला,कब सफर पूरा हो गया।।
पता ही नहीं चला,कब ज़िन्दगी अलविदा कहने लगी ।
पता ही नहीं चला,कब संगीत रूह से जुड़ने लगा।।
पता ही नहीं चला,कब स्वर लहरियां कानों में इतना रस घोलने लगी।।
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