तुम बरखा, मैं बदली साजन,
तेरे वजूद से ही महकता है वजूद मेरा।।
बावरा मन और कुछ भी तो नहीं चाहता,
चाहता है बस एक साथ तेरा।।
मैं कतरा,तू सागर है हम नफ़स, मेरे,
मेरे जीवन का है तू ही तो सवेरा।।
मैं ज़र्रा तुम कायनात पिया,
तेरे आलोक से ही भागे मेरे मन का अंधेरा।।
ओ हमसफर, ओ हमदर्द,
तुझसे ही है चमकता हर रंग मेरा।।
तुम इंद्रधनुष, मैंं रंगोली पिया,
तेरे ही चहुंओर है मेरी सोच का डेरा।।।
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