सुकून और बेचैनी जब मिले किसी मोड़ पर,होने लगी दोनों में कुछ ऐसी बात,जिसे सुन कर सब ने सीखा कुछ न कुछ,उनका वार्तालाप औरों के लिए था सौगात,बेचैनी ने कहा,कैसे इतने शांत और मोहक हो तुम,आज बतलाओ मुझे इसका राज,मैं रहता हूँ सच्चे दिलों में,जहां लोभ,मोह,क्रोध और हिंसा का नही होता वास,जहां दर्द उधारे लेते हैं कुछ लोग,जहां सुख दुःख सांझे हो जाते हैं, जहां एक रोटी और चार जने हो,पर टुकड़े कर चार वो खाते हैं, माँ के आंचल में हूँ,पिता के प्रेम में हूँ,सच्ची आस्था में हूँ,मैं लेकर नही देकर खुश हो जाता हूँ,संचय में नही विश्वास है मेरा,में बाँट कर हर्षित हो जाता हूँ,मैं के स्थान पर हम को में अपने जीवन में ख़ास बनाता हूँ,यही राज है मेरे अस्तित्व का,आज ये सच्चाई मै आप सब को बताता हूँ,बेचैनी सिर्फ और सिर्फ सुकून का मुँह तकती रह गयी।।
कह सकें हम जिनसे बातें दिल की, वही मित्र है। जो हमारे गुण और अवगुण दोनों से ही परिचित होते हैं, वही मित्र हैं। जहां औपचारिकता की कोई जरूरत नहीं होती,वहां मित्र हैं।। जाति, धर्म, रंगभेद, प्रांत, शहर,देश,आयु,हर सरहद से जो पार खड़े हैं वही मित्र हैं।। *कुछ कर दरगुजर कुछ कर दरकिनार* यही होता है सच्ची मित्रता का आधार।। मान है मित्रता,और है मनुहार। स्नेह है मित्रता,और है सच्चा दुलार। नाता नहीं बेशक ये खून का, पर है मित्रता अपनेपन का सार।। छोटी छोटी बातों का मित्र कभी बुरा नहीं मानते। क्योंकि कैसा है मित्र उनका, ये बखूबी हैं जानते।। मित्रता जरूरी नहीं एक जैसे व्यक्तित्व के लोगों में ही हो, कान्हा और सुदामा की मित्रता इसका सटीक उदाहरण है। राम और सुग्रीव की मित्रता भी विचारणीय है।। हर भाव जिससे हम साझा कर सकें और मन यह ना सोचें कि यह बताने से मित्र क्या सोचेगा?? वही मित्र है।। बाज़ औकात, मित्र हमारे भविष्य के बारे में भी हम से बेहतर जान लेते हैं। सबसे पहली मित्र,सबसे प्यारी मित्र मां होती है,किसी भी सच्चे और गहरे नाते की पहली शर्त मित्र होना है।। मित्र मजाक ज़रूर करते हैं,परंतु कटाक
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