अनुशासन सीखना है तो सीखो प्रकृति से,
सही समय पर उदित होते हैं आफताब।
समभाव सीखना है तो सीखो प्रकृति से,
एक जैसे पत्ते फूल कलियों का सीधा सा हिसाब।।
देना सीखना है तो सीखो प्रकृति से,
अन्न, फल,फूल,सब्जियां,आश्रय, हवा,पानी,सूरज की रोशनी बेहिसाब।।
परिवर्तन तो होना ही है,
सीखना है तो सीखो प्रकृति से,
पहले बीज,फिर अंकुर,
फिर पौधा,फिर दरख़्त,फिर पीले पत्तों का झड़ जाना,फिर नव कोंपल,नव किसलय का आ जाना,विकास से ह्रास और फिर ह्रास से विकास।।
शिक्षक है प्रकृति, मां है प्रकृति, मित्र है प्रकृति,उपदेशक है प्रकृति,
प्रकृति है हमारी जीवन की सबसे सुंदर किताब।।
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