सबसे पहला शिक्षक जीवन में मां होती है।।शिक्षक दिवस विशेषांक,,,,,सबसे पहला शिक्षक जीवन में माँ होती है,माँ ऐसा शिक्षक है जो हम से जुड़ने के बाद ताउम्र नाता नही तोड़ता,माँ ज़िन्दगी के पाठ अनुभवों की स्याहीसे मानसपटल में अंकित करा देती है,माँ सारी शिक्षाबिना फीस के कराती है,लेती नही देती रहती है,पर इसे विडंबना कहे या दुर्भाग्य हम इन् पाठों को देखते तक नही,माँ तो पूरा जोर लगा देती है,ताउम्र सिखाने वाली माँ को हम गुरुदक्षिणा में क्या देते है,विचार कीजिये
कह सकें हम जिनसे बातें दिल की, वही मित्र है। जो हमारे गुण और अवगुण दोनों से ही परिचित होते हैं, वही मित्र हैं। जहां औपचारिकता की कोई जरूरत नहीं होती,वहां मित्र हैं।। जाति, धर्म, रंगभेद, प्रांत, शहर,देश,आयु,हर सरहद से जो पार खड़े हैं वही मित्र हैं।। *कुछ कर दरगुजर कुछ कर दरकिनार* यही होता है सच्ची मित्रता का आधार।। मान है मित्रता,और है मनुहार। स्नेह है मित्रता,और है सच्चा दुलार। नाता नहीं बेशक ये खून का, पर है मित्रता अपनेपन का सार।। छोटी छोटी बातों का मित्र कभी बुरा नहीं मानते। क्योंकि कैसा है मित्र उनका, ये बखूबी हैं जानते।। मित्रता जरूरी नहीं एक जैसे व्यक्तित्व के लोगों में ही हो, कान्हा और सुदामा की मित्रता इसका सटीक उदाहरण है। राम और सुग्रीव की मित्रता भी विचारणीय है।। हर भाव जिससे हम साझा कर सकें और मन यह ना सोचें कि यह बताने से मित्र क्या सोचेगा?? वही मित्र है।। बाज़ औकात, मित्र हमारे भविष्य के बारे में भी हम से बेहतर जान लेते हैं। सबसे पहली मित्र,सबसे प्यारी मित्र मां होती है,किसी भी सच्चे और गहरे नाते की पहली शर्त मित्र होना है।। मित्र मजाक ज़रूर करते हैं,परंतु कटाक...
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