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तब होती है दीवाली Thought by Sneh premchand

रिश्तों में जब बढ़ती है मिठास,तब दीवाली होती है,रिश्तों में जब घटती है खटास तब दीवाली होती है,कुटिया भी जब सजती है महलों के संग,तब दीवाली होती है,हर घर में बनती है जब रसोई ,तब दीवाली बनती है,समर्थ जब थाम लेता है हाथ असमर्थ का,तब  दीवाली बनती है,एक छत के नीचे बिना भेद भाव के जब सब सुख दुख सांझे करते हैं, तब दीवाली बनती है,जब सब एक दूजे की भावनाओं की कद्र करते है,तब दीवाली बनती है,बच्चे जब मन से आदर करते है बड़ों का,तब दीवाली बनती है,आप को क्या लगता है।।

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सकल पदार्थ हैं जग माहि, करमहीन नर पावत माहि।।,(thought by Sneh premchand)

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