यमुना के मीठे पानी से,
सागर के खारे पानी तक का सफर ही
माधव को कान्हा से द्वारकाधीश बनाता है।
दस उंगलियों से बजने वाली बांसुरी की मधुर तान से,
एक ऊंगली पर चलने वाले
सुदर्शन चक्र को करण बेदी बनाता है।।
सुदर्शन चक्र को करण बेदी बनाता है।।
गोकुल की गलियों में गईयां चराने से लेकर,
कुरूक्षेत्र में मोह ग्रस्त पार्थ को गीता ज्ञान सुनाता है।।
सच में समय ही नहीं बदलता,इंसान बदल जाता है।।
Comments
Post a Comment