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Showing posts from November, 2020

भोर भई चाहे सांझ ढली (thought by Sneh premchand)

विवेक का प्रयोग (Thought by Sneh premchand)

होता गर कोई thought by Sneh premchand

अतीत की दस्तक वर्तमान की चौखट पर (Thought by Sneh premchand)

अहम

समय

शौक

साहित्य

कई बार

भावनाएं

भाषा

चित्र

जन्म

पालकी में सवार thought by Sneh premchand

कोई भी तीर्थ धाम

प्रेम की भाषा

बहुत रोज़ हुए

आसान

अन्नदाता

घाव बन जाता है नासूर

ओ लेखनी

बेशुमार

ज़मीदोज़

शांत सरोवर

सुपुर्द ए खाक

चित्रकारी

bahut kuch

बहुत कुछ

बेला विनाश की

नासूर Thought by Sneh premchand

आयाम

प्रयास

ज़रूरी है

मरहम

खामोशी

प्रेम की डोर

दूर गगन में

एक से ही

दस्तक

परिधान (Thought by Sneh premchand)

अन्नदाता हैं हमारे किसान Thought by Sneh premchand

जय जवान जय किसान Thought by Sneh premchand

सबको नहीं आता करना इज़हार

मिलन

घटनाएं

बेसन की सौंधी रोटी