हमारे कर्म ही हैं हमारी पहचान।
एक दूजे से जुड़े हुए हैं, सोच कर्म और परिणाम।।
सुमन की महक से महकता है चमन सारा।
सत्कर्मों से चहकता है ये समा सारा।।
धन संग जो दुआएं भी, दूसरों की कमा लेते हैं।
इस धरा पर आकर, वे जीवन स्वर्ग बना देते हैं।।
आप को बता दें, आपका नाम होता है ऐसे लोगों में शुमार।
हम ही नहीं जाने कितने लोग आपसे करते हैं बेइंतहां प्यार।।
अधिक तो आता नहीं मुझे कहना,सदा रक्षा करे आपकी परवरदिगार।।
स्नेह प्रेमचंद
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