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चल लेखनी (Thought by Sneh premchand)

चल लेखनी लिखते हैं आज,कुछ ऐसा खास।
लम्हा लम्हा वक़्त गुजरेगा,वर्तमान बन जाएगा इतिहास।।

कतरा कतरा बीत रही ज़िंदगानी,
हर जीवन की अपनी कहानी।
हर कहानी का अपना ही किरदार।।
हर किरदार अपने कर्म का खुद होता जिम्मेदार।
मेहनत की स्याही से भाग्य की बदल देते हैं जो रेखा,
ऐसे खुशकिस्मत लोगों के जीवन में कम ही होते हैं दीदार।।
हर ख्वाब हो जाता है पूरा,गर हौनलों में हो ऊंची उड़ान।
सच में आजमाई हुई बात है ये,फीका पड़ जाता है हर व्यवधान।।
मिसाल है तूं इस बात की,सच में ही है बड़ी खास।
तन से बेशक हूं दूर पर मैं मन से तेरे सदा हूं पास।।
लम्हा लम्हा वक़्त गुजरेगा,वर्तमान बन जाएगा इतिहास।।
ज़िन्दगी के इस अनोखे सफर में,कुछ खास होते हैं,कुछ बहुत खास होते हैं,और कुछ होते हैं सुखद अहसास ।
तूं तो है सुखद अहसास प्रिय,है मुझ को तो यही आभास।।
तूं स्वस्थ रहे,खुश रहे यही दुआ है तेरे जन्मदिन पर तेरा उपहार।
उम्र में छोटी पर बड़ी सोच में,हंसती रहे तूं बार बार।।
प्रेम का नहीं कोई निर्धारित पैमाना,
दिल की कहने में बाज औकात थोड़े पड़ जाते हैं अल्फ़ाज़।
जिक्र तेरे से जेहन में बजने लगता है आंनद का साज।।
मैने भाव लिखे हैं तूं भाव ही समझना,
शब्दकोश, शब्दों का अधिक नहीं है मेरे पास।
आज का दिन सच में ही बहुत खास है,
हो सुख,समृद्धि,शांति का तेरे चित में वास।।
        दिल की कलम से
           स्नेह प्रेमचंद


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