प्रेम मापने का गर सच में ही
बना होता पैमाना,
तो उसे मैं दे देती तेरा ही नाम।
ये तो नहीं पता कितना प्यार है तुझसे,
पर आती है जेहन में तूं हर भोर और शाम।।
अल्फाजों से गर मेरी होती दोस्ती,
भावों को अभिव्यक्ति का पहना देती परिधान।
मेरी दोस्ती एहसासों से है बहना,
जान सके तो लेना जान।।
पावन सा है ओरा तेरा,
हर चितवन है तेरी सुहानी।
स्नेहिल सी है आभा तेरी,
हो न तुझे कभी कोई परेशानी।।
सुमन सी मुस्कान है तेरी,
प्रेम चमन का तूं सबसे मीठा आम।
प्रेम मापने का गर सच में ही होता कोई पैमाना,तो उसे मैं दे देती तेरा ही नाम।।
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