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प्रेम ही है सबसे बड़ी सौगात thought by Sneh premchand

चाहे हम कितने भी हो जाएं प्रख्यात,
नहीं प्रेम से बढ़ कर कोई भी सौगात।।

प्रेम गीत है प्रेम है सरगम,
है प्रेम ही सुर और ताल।
ढाई अक्षर प्रेम के,
कर देते हैं जीवन में कमाल।।

प्रेम लेना नहीं, देना जानता है,
प्रेम शक्ति है हमारी,मोह है कमजोरी।
प्रेम से मालामाल ही धनवान है जग में,
समझो भरी है उसकी तिजोरी।।

प्रेम है जीवन में सबसे सुखद अहसास।
प्रेम है तो दूर रह कर भी मन के होते हैं हम पास।।

प्रेम सोच बदल देता है,परस्थिति बदल देता है ,और तो और मनस्थिति भी देता है बदल।
प्रेम है गर रिश्ते में,तो झोंपड़ी भी लगती है महल।।

प्रेम की रामायण में सिर्फ और सिर्फ हैं अपनत्व की चौपाई।
मजहब, जाति,सरहद से उपर प्रेम है,
बस हो दिल की दिल से सगाई।।

प्रेम किया नहीं जाता, हो जाता है,
प्रेम शोर मचाता झरना नहीं।
प्रेम है शांत,गहरा,अनन्त,असीम सा सागर।
कायनात ही बदल जाती है सच्चे प्रेम को पाकर।।

राधा का प्रेम है अमर कान्हा से,आज भी नाम राधा का कान्हा से पहले लिया जाता है।
मीरा का प्रेम भी अनमोल था कान्हा के लिए,जो जहर भी अमृत बन जाता है।।

नहीं अल्फाजों में वो शक्ति जो प्रेम का कर सकें बखान।
हम लिखते भाव हैं,लोग पढ़ते शब्द हैं,
मन की पाती पढ़ने से रह जाते हैं अनजान।।
यह अभिव्यक्ति कम अनुभूति अधिक है,सच मे प्रेम है भाव प्रधान।।

           दिल की कलम से
            स्नेह प्रेमचंद

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