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कुछ खुशियां कुछ मलाल (thought by Sneh premchand)

कुछ खुशियाँ भी आई,कुछ मलाल भी रहे,जाने लगा देखो ये साल।
नववर्ष का आओ करें स्वागत,कुछ करें ऐसा जो बने मिसाल।।

समय का पहिया चलता रहता अपनी ही गति से,हम कठपुतली बन कर रह जाते हैं।
कभी यहाँ, कभी वहाँ, जीवन की लीला चलाते हैं।

हो स्थान परिवर्तन बेशक,पर हृदय परिवर्तन की न चले बयार।
चार दिनों की इस ज़िंदगानी में हो इंसा को हर प्राणी से प्यार।।
बीते बरस चार,हुआ हमारा राजस्थान से हरियाणा को आना।
जैसे कोई भूला हुआ लौटा हो अपने घोंसले में,लगा बनाने नया ठिकाना

जगह की दूरी कोई खास बात नही,खास बात है जब मनो में दूरी आ जाती है।
जलती हुई शमा को आकर जैसे कोई सुनामी बुझाती है।

सब रहें प्रेम से,हों सुख दुख सांझे,कटाक्षों की कोई जगह कहीं भी बचे न बाकी।
सब खुश रहें,और रहें सलामत,और अधिक की तो चाह भी नही है साकी।।

नववर्ष में आओ लें एक संकल्प,कभी किसी का हिया न दुखाएँ।
बेशक खुशी न दें पाएं किसी को,पर गम का आगाज़ तो न लाएं।।

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