समय के जीने से उतर रहा है 2020,
हौले हौले चढ़ रहा है 2021,
कोई नई बात नहीं,जाने कब से होता आया है।।
गुजरता है साल पिछला,
लहराता नए साल का साया है।।
बस इस साल जैसा फिर कोई साल ना हो,
खोया अधिक है और कम ही पाया है।।
जाने कितने ही बने ग्रास काल के असमय ही,
वैश्विक महामारी से पूरा ही जग
लड़खड़ाया है।।
हे ईश्वर! यही दुआ है तुझसे,
सब निर्भय हों, सब स्वस्थ हों,
तूं ही तो सच्चा सर माया है।।
सब की मंगल कामना का तराना ही आज दिल ने मन से गुनगुनाया है।।
कोई तुझ सा पुरसां ए हाल है ही नहीं,
बड़ा शीतल तेरी शरण का साया है।।
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