समय की गोद से निकल कर
2020 देखो बनने चला है इतिहास,
यूँ ही बीतते रहते हैं साल ज़िन्दगी के,
करते चलो तुम हास परिहास।।
लो दर्द उधारे किसी के,
आये तुम्हारे कारण किसी के लबों पर मुस्कान।
मलाल नही रहेंगे फिर जीवन में,
जीवन हो जायेगा वरदान।।
कुछ बहुत ही अपने जुदा हुए इस बरस,
कुछ अपने जुड़ भी जाते हैं।
आवागमन का है ये चक्र ही ऐसा,
हम खुद को बस एक मोहरा पाते हैं।।
कौन जानता था इस बरस,
आएगी ऐसी वैश्विक महामारी।
जाने कितनी ही ज़िंदगियां,
सम्मुख korona के हारी।।
बहुत कुछ ले गया,
बहुत कुछ सिखा गया ये साल।
कुछ खोया,कुछ पाया,
मन में भी दे गया मलाल।।
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