साहिल ने एक दिन कहा लहर से,
*कहीं भी कर लो विचरण प्रिय तुम,
पर अंत में मेरे पास ही लौट कर है आना
जग जानता है सारा.
तूं मेरे लिए, मैं तेरे लिए,तुझ से कभी नहीं
करूंगा किनारा।।
है साहिल लहर का सदियों से दीवाना,
जान चुका है सारा ज़माना।।
सुन साहिल की अभिव्यक्ति,
लहर ने कह दी मन की बात।
हे प्रीतम, है मेरी मंज़िल साहिल
दिन खिलते हैं तुझ से,
सजती तुझ से है रात।।
मैं कभी जाती हूं मिलने पिता सागर से,
और अधिक नही आता कहना
मुझे भाता है साहिल आपका साथ।।
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