कुछ अधिक ही मीठे होते हैं कुछ अहसास। गुड से भी मीठे,चीनी से रसीले, हर लम्हे को बना देते हैं खास।। जेहन की चौखट पर दस्तक देते हैं पल, आज पल भर में ही हो जाता है कल।। हो ही नहीं पाता आभास।। स्नेह प्रेमचंद
है पर्व ये उल्लास का,मन प्रेम से रंगने का मौसम आया है। मिले हैं अपनों से अपने,बसंत हर दिल को भाया है।। जाने कितने ही संदेशों को अपने उर में समेटे जन जन को भाया है।। है पर्व ये उल्लास का,मन प्रेम से रंगने का मौसम आया है।।