जो बीत गया है वो,वो दौर न आएगा,
इस दिल मे सिवा तेरे,कोई और न आएगा।
तू कहीं भी गयी ही नहीं, अहसासों में रहती है,
जैसे गंगा की धारा हो,गंगोत्री से बहती है।।
तू सोच में है माता,संस्कारों में भी है तू,
हर काम के ढंग में तू,हर जीवन के रंग में तू।।
चाहे खुशी हो या कोई गम,
ज़िक्र तेरा ही आएगा।
कभी कह देंगे लब थोड़ा,
कभी मौन रुलाएगा।।
जो बीत गया है वो,वो दौर न आएगा,
इस दिल में सिवा तेरे कोई और न आएगा।।
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