मां वो ब्रह्मा है जो लाखपीड़ा सहन कर भी हंसते हंसते हमे जन्म देती है।
वो विष्णु है जो हल हाल में,बेशक सीमित ही हों उपलब्ध संसाधन,
हमारा बेहतर पालन करती है।।
वो शिव है जो हमारे चित्त से समस्त बुराइयों को दूर करने की यथासभव कोशिश करती है,हमारे लिए एक नहीं जाने कितनी बार ही हंसते हंसते गरल पी जाती है।
आपके घर मे एक नही तीन तीन भगवान है।बेशक मंदिर मस्जिद तीर्थ धाम न जाओ, मां के आंचल में जा कर पल भर लेट जाओ,जन्नत मिल जाएगी।।
एक नहीं सौ फीसदी सत्य है ये बात।।
स्नेह प्रेमचंद
Comments
Post a Comment