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हो उदित भोर फिर आशा की (थॉट बाय स्नेह प्रेमचंद)

हो उदित भोर फिर आशा की,
 मिटे नैराश्य का अंधकार।
फिर स्मरण करो निज शक्ति का,
आ जाओ बजरंगी फिर एक बार।।

बल,बुद्धि,विद्या देहु मोहि,
हरहु क्लेश विकार।
हाथ जोड़ सब कर रहे विनती,
पवन पुत्र,इसे कर लो स्वीकार।।

फिर से ला दो ना कोई संजीवनी बूटी,
कर दो फिर से जग पर उपकार।
हो उदित भोर फिर आशा की,
मिटे नैराश्य का अंधकार।।

रामदूत अतुलित बलधामा, 
अंजनि पुत्र पवन सुत नामा,
करदो सार्थक फिर से एक बार।
आज जन्मदिन है आपका,
है पूर्णमासी और मंगलवार।।

हे अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता!
है बस अब तुझ पर ही एतबार।
पूरे जग में उथल पुथल है,
चहुं ओर है हाहाकार।।

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर,
प्रभु कर दो ना अब बेड़ा पार।।
भूली शक्ति फिर याद करो प्रभु,
निर्भयता का कर दो संचार।।

नासै रोग हरै सब पीरा,
जपत निरंतर हनुमत वीरा।।
समस्त रोग दूर हो जाते हैं,
और मिट जाती हैं पीड़ाएं सारी।
करे जाप जो निरंतर तेरा,
आई घड़ी जगत पर बड़ी भारी।।

सारी कायनात के कष्ट हरो क्पीश्वेर,
इतनी अर्जी कर लो स्वीकार।
हो उदित भोर फिर आशा की,
मिटे नैराश्य का अंधकार।।
स्नेह प्रेमचंद

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