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तीन नहीं चार अंतिम सूत्र बुद्ध के((( चित्र Anna शब्द स्नेह प्रेमचंद)))

तीन नहीं चार अंतिम सूत्र हैं बुद्ध के,
आओ जाने इन्हें, न रहें और अनजान।
आज भी उतना ही प्रासंगिक है,
2500 वर्ष पूर्व कह गए जो बुद्ध भगवान।।

बुद्धम शरणम गच्छामि==
बुद्ध यानि जागृत व्यक्तित्व की शरण में जाए इंसान।
उस आलौकिक व्यक्तित्व से जुड़ कर
व्यक्ति बन जाता है गुणवान।।
मलिन मनों से हट जाते हैं धुंध कुहासे,
अज्ञान के दूर होते हैं अंधेरे, जब आ जाता है ज्ञान।।
कोई न कोई दृष्टा, पथ प्रदर्शक तो हो जीवन में ऐसा,जो नजर नहीं बदल दे नजरिया,हों सच के हम धनवान।।

धम्मं शरणम गच्छामि== दृष्टा न मिले तो उसके संदेश,उसके वचन ही बदल दें जीवन को,ऐसी चेतना का स्पंदन भी जीवन में परिवर्तन ला देता है।
संदेश वाहक न भी मिले तो संदेश ही सही, अम्ल कर उन पर भी व्यक्ति जीवन बदल लेता है।।

संघम शरणम गच्छामि== 
       किसी भी व्यक्ति के विकास में एक पूरे संगठन का होता है सहयोग।
संगठन में होती है शक्ति,
एक और एक ग्यारह का बनता है योग।।
माता पिता बड़े बुजुर्ग,सखा सहेली,गुरुजन, सहकर्मी,जाने कितने ही जानकार।।
सबसे प्रभावित होता है व्यक्तित्व हमारा,होते हैं प्रभावित मन के विचार।।
किसी भी अच्छे संगठन से जुड़ना
जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का करता है संचार।
सही समय पर यह सही समझ आ जाती है जिसको,होते हैं उसे सुख,समृद्धि,सफलता और खुशहाली के दीदार।।

चरवेति चरवेति---चलते रहना, चलते रहना,कभी न थमना,कभी न रुकना।
आजीवन व्यक्ति रहता है शिष्य,
सीखने का ,कर्म करने का सफर तो आजीवन ही रहे जारी।
इन चार अंतिम बुद्ध सूत्रों को अब समझने की आ गई है बारी।।
इन चारों सूत्रों को अपना कर बन सकते हैं हम धनवान।
आज भी उतने ही हैं प्रासंगिक,
जो 2500 वर्ष पूर्व कह गए बुद्ध भगवान।।
       स्नेह प्रेमचंद

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