में ही नही,प्रकृति भी दे जाए,
तुझे तेरे जन्मदिन पर ढेरों उपहार।
पहली बारिश दे जाए तुझे
माटी की सौंधी सौंधी महक,
दे जाए प्रकृति अपना नैसर्गिक सौन्दर्य बेशुमार।।
चन्दा दे जाए शीतलता अपनी,
सूरज के तेज से हो, तू सरोबार।।
कोयल की कूक,पपीहे की बोली,
मधुरता दे जाएं बेशुमार।।
पर्वत दे जाए अडिगता अपनी,
ध्रुव तारा अपनी चमक दे जाए,
पवन दे जाए गति अपनी,
पेड़ पौधे अपनी हरियाली दे जाएं,
अनन्त गगन दे जाए असीमता अपनी,
धरा अपनी सहनशक्ति दे जाए,
विषम परिस्थितियों में भी न तू डोले,
समस्या के समाधान का तू पाले पार।
सागर सी गहरी तू बनना,
पावन नदिया सी तू बहना,
ओ मेरी प्यारी ऐना बिटिया,
तू ही है मेरा सच्चा गहना।।
औऱ अधिक नही आता कहना,
आज अपने जन्मदिन पर ये दुआ कर लेना स्वीकार।।
मैं ही नही प्रकृति भी दे जाए
तुझे तेरे जन्मदिन पर ढेरों उपहार।।
तूं कोहेनूर मेरे जीवन का,
बिन देखे तुझे न आए करार।।
एक गुज़ारिश है ईश्वर से,
कभी चित में तेरे पनपे न विकार।।
स्नेह प्रेमचंद
Comments
Post a Comment