एक नहीं दो घरों को रोशन करती हैं बेटियां प्यारी।
एक सजाए बाबुल का अंगना,दूजे साजन की फुलवारी।।
कौन कहता है लाडो होती है पराई,
वो तो दूसरे घर जा कर भी अपनी होती है सारी की सारी।।
बेटी तो वो इत्र है, महकाती है अपने बागबान की जो क्यारी क्यारी।।
मात पिता ए टी एम हैं तो बिटिया सच्चा आधार कार्ड है,
जान चुकी कायनात ये सारी।।
सुनने में बेशक अच्छा लगता है बेटा हुआ है,पर जीने में बेटी ही होती है
प्यारी।।
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