पूछता है जब कोई जन्नत है कहां??
अनायास ही निकल जाता है दिल से,जन्नत तो सिर्फ और सिर्फ होती है मां।।
बिन शर्तो के केवल होता है,
जग में मां का निश्छल प्यार।
मां तितर बितर से हमारे व्यक्तित्व को,
दे देती है सुंदर आकार।।
पूछता है जब कोई सुकून है कहां??
सोचने लगती हूं मैं,
याद आ जाती है मां।।
शक्ल देख हरारत पहचानने वाली मां निभाती है जीवन में अनेक किरदार।
कभी पत्नी,कभी बहू,कभी भाभी,कभी मां,प्रेम की सदा करती बौछार।।
पूछता है जब कोई विश्वास है कहां??
कोई मशक्कत नहीं करनी पड़ती जेहन को,हौले से याद आ जाती है मां।।
पूछता है जब कोई विश्वास और सुरक्षा हैं कहां??
एक ही एक जवाब है इसका,
और वो जवाब होती है मां।।
पूछता है जब कोई कर्म की गीता है कहां??
कर्मक्षेत्र की होती है एक ही गीता,
और वो गीता होती है प्यारी मां।।
पूछता है जब कोई विनम्रता,सहन शीलता,धीरज और संतोष है कहां??
और कहीं जाने की क्या है जरूरत,
इन चारों का एक ठिकाना,
होता है वो प्यारी मां।।
पूछता है जब कोई,हिफाजत है कहां??
सोचने लगती हूं मैं,
याद आ जाती है मां।।
हर संज्ञा,सर्वनाम,विशेषण का बोध कराने वाली,
हमे क्या चाहिए,हम से ज्यादा जानने वाली,
अपनी हर ख्वाइश को समझौते में बदलने वाली,
आजीवन करती रहती है हमें प्यार।
उसके संसार में तो औलाद ही सब कुछ है,पर अपने संसार में इतनी आसानी से कैसे देते हैं बिसार??
पूछता है जब कोई सहजता है कहां??
आत्म मंथन सा करती हूं मैं,और याद आ जाती है मां।।
हमारे सपनों को हकीकत बदलने वाली,
हमारे अच्छे मुस्तकबिल के लिए अपने वर्तमान को कुर्बान करने वाली,
सच में होती है जीवन का दृढ़ आधार।
मां के बारे क्या लिखूं,उसने तो मुझे ही लिख डाला,उस की प्राथमिकताओं की फेरहिस्त में औलाद सदा होती है शुमार।।
पूछता है जब कोई परमानंद है कहां???
अतीत में चली जाती हूं मैं,याद आ जाती है मां।।
सौ बात की एक बात है जीवन की इस घणी तपिश में,सबसे ठंडी छांव है मां।।
जीवन की इस भूल भुलैया में,
सबसे मधुर मंजिल है मां।।
पूछता है जब कोई ममता है कहां??
मुस्कुरा देती हूं मैं,याद आ जाती है मां।।
पूछता है जब कोई संस्कार है कहां??
बिन सोचे ही मिल जाता है उत्तर,
हौले से याद आ जाती है मां।।
पूछता है जब कोई परंपरा,रीति,रिवाज है कहां??
हौले से देती हूं दस्तक बचपन की
चौखट पर,मुस्कुराती सी याद आ जाती है मां।।
पूछता है जब कोई सबसे अच्छी पाठशाला है कहां???
चेतना देने आ जाती है जवाब,हौले से याद आ जाती है मां।।
पूछता है जब कोई सारे तीर्थ धाम
मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे हैं कहां??
एक प्यारी सी सूरत उभरती है,
वो होती है प्यारी मां।।
पूछता है जब कोई,ईश्वर है कहां??
अंतर्मन से आ जाती है आवाज़,
कोई और नहीं,है सिर्फ वो मेरी मां।।
स्नेह सावित्री प्रेमचंद
एक माँ क़ो सची श्रधांजलि
ReplyDeleteमाँ का संपूर्णवयक्तित्व इनपंक्तियो में अति सुन्दरता
से उजाग़र कियाहै।
Bahut hi sunder rachna
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