ए ==क नायाब कृति कुदरत की थी जो, नाम है उसका अब्दुल कलाम।।
पी ==या ज्ञान का प्याला मेहनत की चम्मच से उसने,
पूरा विश्व उन्हें करे सलाम।।
जे ==ब कर्म की, लग्न के सिक्के,
दिया कभी ना खुद को विराम।।
अब==दुल कलाम थी हस्ती एक ऐसी, हर कोई बन गया उनका कद्रदान।।
दु ==खी है हर मन भीतर से आज नहीं रही यह हस्ती महान।।
ल ==गन लगी बचपन से ऐसी,
करना है पूरा जो देखा ऊंचा सपना।।
क ==भी ना थकना कभी ना रुकना, फिर सोचो जो भी, हो जाता है अपना।।
ला ==वा सा जलता रहा प्रेरणा का उनके भीतर,
अनखोजीअनदेखी राहों का कर डाला सफर।।
म ==जबूत हौसला बुलंद इरादे,
धीरज की पगडंडी पर कर्म की लाठी से पार कर ली अपनी डगर।।
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