पर निकलते ही परिंदे आसमा के हो गए।
भूल गए पालनहारों को,एक नई दुनिया मे खो गए।।
अपना सब कुछ देने वाले,हर संभव कोशिश कर हमारे चेहरे पर जो ला देते है मुस्कान।
ऐसे मात पिता की गर होती है उपेक्षा, और भेज वृद्धाश्रम में होता है जिनका अपमान।।
ऐसी ज़िन्दगी की आदी कैसे हो गयी युवा पीढ़ी,
कैसे उनकी सोच के पेच सारे के सारे ढीले हो गए।
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